वक्फ संशोधन विधेयक के संसद में पास होने और नए वक्फ कानून का रूप लेने के बाद उत्तर प्रदेश और बिहार की सियासत में उथल-पुथल मची हुई है. समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव और जनता दल (यूनाइटेड) के नेता व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टियों में इस बिल को लेकर जबरदस्त सियासी भूचाल आ गया है. सपा ने जहां इस बिल का पुरजोर विरोध किया था, वहीं जेडीयू ने इसे समर्थन दिया था.

हालांकि दोनों ही पार्टियां इस बिल के पारित होने के बाद से नुकसान झेल रही हैं. हाल के दिनों में दोनों पार्टियों से कई नेताओं के इस्तीफे और बगावत की खबरें सामने आ रही हैं, जिसने 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले सियासी समीकरणों को और जटिल बना दिया है.

नीतीश कुमार की जेडीयू में बगावत का सिलसिला
वक्फ संशोधन विधेयक को संसद में समर्थन देने के बाद नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में मुस्लिम नेताओं और कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट पड़ा है. हाल के कुछ दिनों में पार्टी के कई प्रमुख मुस्लिम नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है. यहां मोतिहारी में आज ही 15 मुस्लिम नेताओं ने नाराज होकर एक साथ जेडीयू का साथ छोड़ दिया है.

इससे पहले पूर्वी चंपारण के जेडीयू मेडिकल सेल के अध्यक्ष मोहम्मद कासिम अंसारी ने सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिखकर कहा, ‘पार्टी ने इस बिल का समर्थन कर मुसलमानों का भरोसा तोड़ा है. हमने नीतीश जी को धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक माना था, लेकिन अब यह भरोसा टूट गया है.’ इसके अलावा, जमुई के मोहम्मद शाहनवाज मलिक, नदीम अख्तर, तबरेज सिद्दीकी और राजू नैय्यर ने भी पार्टी छोड़ दी.

वहीं शनिवार को औरंगाबाद में जेडीयू के श्रम और तकनीकी प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष अफरीदी रहमान ने अपने 20 से अधिक समर्थकों के साथ इस्तीफा दे दिया. इस दौरान उन्होंने नीतीश कुमार के खिलाफ नारेबाजी की और घर पर लगी पार्टी की नेम प्लेट तक तोड़ डाली.

अखिलेश यादव का विरोध और सपा की रणनीति
दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव ने वक्फ संशोधन बिल का खुलकर विरोध किया है. लोकसभा में चर्चा के दौरान अखिलेश ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला और इसे ‘मुसलमानों के अधिकारों पर हमला’ करार दिया. सपा ने इस मुद्दे को मुस्लिम समुदाय के बीच भुनाने की पूरी तैयारी कर ली है. हालांकि, पार्टी में कुछ नेताओं का मानना है कि अखिलेश का यह रुख बीजेपी को ध्रुवीकरण का मौका दे सकता है.

इस बीच मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना विधानसभा क्षेत्र के सैकड़ों मुस्लिम कार्यकर्ताओं ने समाजवादी पार्टी छोड़कर राष्ट्रीय लोकदल (RLD) का दामन थाम लिया है. हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अखिलेश की रणनीति यूपी के मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने की है. सपा के राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा, ‘यह बिल देश में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की साजिश है. हम इसका हर मंच पर विरोध करेंगे.’

वक्फ बिल के पीछे का सियासी खेल
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर बीजेपी की रणनीति साफ है. पार्टी इसे एक बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, लेकिन विपक्ष इसे धार्मिक ध्रुवीकरण का हथियार मानता है. बीजेपी को उम्मीद है कि बिहार, यूपी और बंगाल जैसे राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा उसे हिंदू वोटों को एकजुट करने में मदद करेगा. लेकिन एनडीए के सहयोगी दलों, खासकर जेडीयू और टीडीपी, के लिए यह दोधारी तलवार साबित हो रहा है. जहां टीडीपी ने भी बिल का समर्थन किया, वहीं जेडीयू को अपने मुस्लिम वोट बैंक के खिसकने का डर सता रहा है.

Agency:News18Hindi

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