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Delhi News : दिल्ली उपभोक्ता आयोग ने डॉ. लाल पैथ लैब को गलत जांच रिपोर्ट देने के लिए दोषी ठहराया है, जिससे शिकायतकर्ता को गंभीर मानसिक और शारीरिक पीड़ा हुई। आयोग ने लैब को सेवा में कमी का जिम्मेदार मानते हुए साढ़े तीन लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।

दिल्ली के उपभोक्ता आयोग ने डॉ. लाल पैथ लैब को गलत और दोषपूर्ण जांच रिपोर्ट देने के लिए ‘सेवा में कमी’ का जिम्मेदार ठहराया और उसे शिकायतकर्ता को मुआवजे के तौर पर साढ़े तीन लाख देने का आदेश दिया। रिपोर्ट में शिकायतकर्ता के जानलेवा बीमारी से पीड़ित होने का संकेत दिया गया था, जिसके कारण उसे अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी।

दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (DSCDRC) की अध्यक्ष संगीता ढींगरा सहगल और न्यायिक सदस्य पिंकी की बेंच ने रोहिणी स्थित डॉ. लाल पैथलैब की अपील 26 मई को खारिज कर दी और कैलाश कॉलोनी निवासी इंद्र प्रकाश वाधवा की शिकायत पर जिला उपभोक्ता आयोग से पारित 4 अगस्त 2014 के फैसले को बरकरार रखा।

इसमें जिला आयोग ने पैथलैब को ‘सेवा में कमी’ का जिम्मेदार ठहराया था और गलत टेस्ट रिपोर्ट के कारण शिकायतकर्ता और उसके परिवार को हुई परेशानी और असुविधा के लिए 3 लाख 50 हजार रुपये मुआवजे के तौर पर देने का लैब को आदेश दिया था।

जिला आयोग के फैसले से दुखी होकर विपक्षी पक्ष ने मौजूदा अपील दायर की। दलील दी कि जिला आयोग यह समझने में विफल रहा कि पैथोलॉजिकल लैबोरेटरी से मिली सेवा का दायरा जांच के लिए नमूना लेने, जांच करने और रोगी को रिपोर्ट देने तक ही सीमित है और लैब किसी भी बीमारी का इलाज नहीं करता है। इस पर दाखिल जवाब में प्रतिवादी (शिकायतकर्ता) ने अपीलकर्ता के सभी आरोपों और दावों का खंडन किया। शिकायतकर्ता ने तर्क दिया कि अपीलकर्ता से सटीक रिजल्ट देने में विफलता के कारण शिकायतकर्ता और उसके परिवार को बेवजह आघात पहुंचा।

राज्य आयोग ने अपीलकर्ता के इस दावे को ठुकरा दिया कि उसे अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया था। ‘सेवा में कमी’ के मुद्दे पर आयोग ने कहा कि अपीलकर्ता की रिपोर्ट और मैक्स अस्पताल, डॉक्टर डैंग लैब और सुपर रेलिगेयर लैब की रिपोर्ट के बीच अंतर साफ-साफ विसंगतियों को उजागर करता है।

‘सेवा में कमी’ का जिम्मेदार
राज्य आयोग ने कहा कि यदि लैब द्वारा की गई जांच दोषपूर्ण और गलत हों, तो डॉक्टर द्वारा किया गया इलाज भी सही नहीं होगा, और रोगी को जरूरी इलाज नहीं मिलेगा, और गलत जांच रिपोर्ट और इलाज के आधार पर निर्धारित दवाएं रोगी के लिए घातक नतीजे ला सकती हैं।

‘सेवा में कमी’ का जिम्मेदार
राज्य आयोग ने कहा कि यदि लैब द्वारा की गई जांच दोषपूर्ण और गलत हों, तो डॉक्टर द्वारा किया गया इलाज भी सही नहीं होगा, और रोगी को जरूरी इलाज नहीं मिलेगा, और गलत जांच रिपोर्ट और इलाज के आधार पर निर्धारित दवाएं रोगी के लिए घातक नतीजे ला सकती हैं।

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