हापुड़ जिले में मोनाड यूनिवर्सिटी की मान्यता रद्द की जा सकती है. मोनाड यूनिवर्सिटी में एसटीएफ की छापेमारी के बाद अब विश्वविद्यालय पर प्रसाशन शिकंजा कस रहा है. हापुड़ के डीएम-एसपी ने मोनाड यूनिवर्सिटी की मान्यता रद्द करने को लेकर शाशन को पत्र लिखा है.

उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में मोनाड यूनिवर्सिटी में एसटीएफ की छापेमारी के बाद अब विश्वविद्यालय पर प्रसाशन शिकंजा कस रहा है. हापुड़ के पिलखुवा स्थित इस यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्री बानाए और बेचे जाने के केस की जांच शुरू कर दी गई है. इस बीच अब हापुड़ के डीएम-एसपी ने मोनाड यूनिवर्सिटी की मान्यता रद्द करने को लेकर शाशन को पत्र लिखा है. इस मामले में मामले में पुलिस ने यूनिवर्सिटी के चेयरमैन विजेंद्र सिंह हुड्डा समेत 11 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.

मंगलवार को डीएम अभिषेक पांडेय और एसपी ज्ञानंजय सिंह ने मोनाड यूनिवर्सिटी की मान्यता रद्द करने को लेकर प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा विभाग को पत्र लिखा. ताकि यहा् अन्य छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न कर सके. इस मामले में अब कार्रवाई का दायरा और बढ़ रहा है. एसटीएफ की टीम उन राज्यों में जांच कर रही है, जहां फर्जी डिग्रियांं बेची गई हैंं.

ऐसे में फर्जी डिग्री के इस खेल में अन्य राज्यों से भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं. एसटीएफ को एक महीने पहले ये जानकारी मिली थी कि यूनिवर्सिटी से फर्जी डिग्रियां बेची जा रही हैं. शुरुआत जांच के बाद पांच मई को लखनऊ से अधिकारी हापुड़-गाजियाबाद आकर सबूत जुटाने लगे. बाताया जा रहा है कि कोविड काल से ही यूनिवर्सिटी में डिग्री के फर्जीवाड़े का खेल चल रहा है. अब तकयूनिवर्सिटी से लगभग एक लाख फर्जी डिग्रियां बनाई और बांटी जा चुकी हैं. एसटीएफ की जांच में पता चला कि यहां से 228 युवा डिग्री लेकर सरकारी नौकरी कर रहे हैं.

नौ राज्यों में यूनीवर्सिटी का बड़ा नेटवर्क

सरकारी नौकरी पाने वालों में हिरायाणा, बिहार और महाराष्ट्र के युवा अधिक हैं. देश के अन्य राज्यों में भी युवा इस यूनिवर्सिटी से ड्रिग्री लेकर प्राइवेट और सरकारी संस्थानों में नौकरी कर रहे हैं. शुरुआत जांच में पता चला है कि मोनाड के चेयरमैन विजेंद्र सिंह ने साल 2020 में यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्री बनानी शुरू की. इसके लिए अलग-अलग शहरों में एजेंट बानकर युवाओं को जाल में फंसाया. एसटीएफ के अधिकारी के मुाताबिक, देश के नौ राज्यों में इस यूनिवर्सिटी का बड़ा नेटवर्क है. इन राज्यों में ही सबसे ज्यादा फर्जी डिग्रियां बेची गईं.

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