सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका (PIL) पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा, जिसमें सभी ऑनलाइन और ऑफलाइन सट्टेबाजी एप्लिकेशन को रेग्युलेट करने की मांग की गई है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने के. ए. पॉल द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया।

पॉल ने दावा किया कि कई बच्चे ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए के ऐप्स में फंसने के बाद आत्महत्या कर चुके हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कई ऑनलाइन इन्फ्लुएंसर, अभिनेता और क्रिकेटर इन ऐप्स का प्रचार कर रहे हैं, जिससे बच्चे सट्टेबाजी की ओर आकर्षित हो रहे हैं। पॉल ने कहा कि मैं उन लाखों माता-पिताओं की ओर से आया हूँ जिनके बच्चों ने पिछले कुछ वर्षों में जान गंवाई है।

केवल तेलंगाना में 1023 लोगों ने आत्महत्या की
केवल तेलंगाना में 1,023 से अधिक लोगों ने आत्महत्या की, क्योंकि 25 बॉलीवुड और टॉलीवुड कलाकारों/प्रभावशालियों ने निर्दोषों की जिंदगी से खेला। उन्होंने यह भी दावा किया कि तेलंगाना में इन इन्फ्लुएंसर्स के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है क्योंकि यह मामला मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

अदालत ने माना सामाजिक विकृतियां
अदालत ने कहा कि ये सामाजिक विकृतियां हैं और केवल कानून बना देने से लोग स्वेच्छा से सट्टेबाज़ी करने से नहीं रुकेंगे। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम सैद्धांतिक रूप से आपके साथ हैं कि इसे रोका जाना चाहिए। लेकिन शायद आप इस भ्रांति में हैं कि इसे कानून से रोका जा सकता है।

जैसे हम लोगों को हत्या करने से नहीं रोक सकते, वैसे ही कानून सट्टेबाजी को पूरी तरह नहीं रोक सकता। अदालत ने कहा कि वह केंद्र सरकार से पूछेगा कि वह इस विषय में क्या कर रही है। साथ ही, भारत सरकार को नोटिस जारी किया गया और इस मामले में अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से सहायता मांगी है।

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