ऑपरेशन सिंदूर में जिस तरह ड्रोन और काउंटर ड्रोन का इस्तेमाल हुआ उसमें भारतीय सेना ने यह भी दिखा दिया कि तेजी से सेना ने नई तकनीक को सिर्फ शामिल ही नहीं किया है बल्कि उसमें महारथ भी हासिल की है। सेना के पास स्वदेशी अटैक ड्रोन से लेकर स्वॉर्म ड्रोन तक है।भारतीय सेना में पिछले तीन से चार सालों में कई अलग अलग तरह के ड्रोन शामिल हुए हैं। इसमें FPV ड्रोन, सर्विलांस कॉप्टर, नैनो ड्रोन, मिनी यूएवी, रिमोटली पायलेटेड एरियल वीइकल, टीथर्ड ड्रोन, लॉजिस्टिक ड्रोन, स्वॉर्म ड्रोन भी शामिल हैं।

FPV ड्रोन का मतलब है फर्स्ट पर्सन व्यू ड्रोन। सेना के एक अधिकारी ने कहा कि जब भी कोई विशेष उपकरण सेना में इंडक्ट किया जाता है तो उसकी ट्रेनिंग ओईएम (मूल उपकरण निर्माता) देता है। इसके साथ ही संबंधित ट्रेनिंग स्कूल और फील्ड फॉर्मेशन में भी ट्रेनिंग के कार्यक्रम किए जा रहे हैं। जहां भी अप्लाई होता है वहां सभी संबंधित कोर्स के सैलेबस में ड्रोन ट्रेनिंग से जुड़े पहलुओं को शामिल किया गया है। साथ ही जरूरत के मुताबिक जरूरी बदलाव किए गए हैं। सभी तरह के ड्रोन की ट्रेनिंग सही से हो सके इसलिए सभी ट्रेनिंग इंस्टिट्यूशंस में पर्याप्त संख्या में ड्रोन भी उपलब्ध कराए गए हैं।

इसके साथ ही भारतीय सेना को अपने टैंकों को ड्रोन अटैक से बचाने के लिए प्लेटफॉर्म आधारित काउंटर ड्रोन सिस्टम लेने पर भी आगे बढ़ रही है। जिसके लिए सेना ने सभी स्वदेशी कंपनियों और पीएसयू से जानकारी मांगी है। सेना अपने टैंकों के लिए इन काउंटर ड्रोन सिस्टम को मेक इन इंडिया के तहत लेना चाहती है। सेना को अपने T-90 और T-72 टैंकों के लिए इस तरह के करीब 75 प्लेटफ़ॉर्म आधारित काउंटर ड्रोन सिस्टम की जरूरत है। टैंक में आर्मर प्रोटेक्शन बढ़ाकर उसकी सुरक्षा बढ़ाने का ज्यादा स्कोप नहीं है क्योंकि उससे उसकी गतिशीलता और घातकता भी प्रभावित होती है। इसलिए टैंकों को प्लेटफ़ॉर्म आधारित एंटी ड्रोन सिस्टम से लैस करना जरूरी है।

सेना ने अपनी जरूरत बताते हुए कहा कि टैंकों के लिए ऐसा सिस्टम हो जिसमें ड्रोन को पहचाने की एक्टिव और पेसिव क्षमता हो। सिस्टम सभी तरह के ड्रोन जैसे फर्स्ट पर्सन व्यू (FPV) ड्रोन, स्वार्म ड्रोन, लॉएटरिंग UAV और कामिकाज़े ड्रोन की पहचान कर सके। साथ ही सॉफ्ट किल और हार्ड किल का सिस्टम हो। यह सिस्टम इस तरह का हो कि और T-72 टैंकों में इस तरह इंटीग्रेट किया जा सके, जिससे टैंकों की युद्धक क्षमता पर कोई गलत असर ना पड़े।

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