जल ही जीवन है का पाठ तो हम बचपन से ही पढ़ते आएं हैं. इसी के साथ सभी धर्मों में भी इसकी महत्ता बताई गई है. आइये जानते हैं इस्लाम की दृष्टि से क्या है जल का महत्व. इस्लामिक मान्यतानुसार सारी कायनात की रचना अल्लाह ने की है और इसकी जिम्मेदारी इंसानों को सौंपी है. इसलिए इसका शोषण करना गुनाह है और संरक्षण इबादत. इसलिए पर्यावरण और प्रकृति को कभी भी नुकसान न पहुंचाएं.

आम बोलचाल की भाषा में हम सभी जल को ‘पानी’ कहते हैं, जोकि संस्कृत शब्द है. अंग्रेजी में इसे ‘वाटर’ फारसी में ‘आब’ और अरबी में ‘माय’ कहा जाता है. जल ईश्वर द्वारा दिए विभिन्न उपकारों में बहुमूल्य उपकार है, जिसका महत्व हर शिक्षा और धर्म से जुड़ी किताबों में बताया गया है. इस्लाम की सबसे पवित्र किताब कुरान में भी जल का वर्णन किया गया है. इतना ही नहीं कुरान में तो लगभग 160 बार जल का जिक्र मिलता है. जल को लेकर खुदा कहता है कि- हमने आसपान से पाक और पाकीजा पानी पैदा किया. इसलिए हम सभी की यह जिम्मेदारी बनती है कि हम जल का संरक्षण करें.

पानी को लेकर क्या कहता है कुरान

कुरान के अनुसार, जल आत्मा और शरीर का जीवन और उसका रहस्य है. (हमने जल से हर जीवित वस्तु को जीवन प्रदान किया) (अंबिया 30)

अल्लाह ने इस धरती पर चलने वाली हर चीज को पानी से पैदा किया है. पानी को अल्लाह ने मनुष्यों के लिए एक उपकार बताया है. (फिर क्या तुमने उस पानी को देखा जिसे तुम पीते हो? क्या उसे बादलों से तुमने बरसाया या बरसाने वाले हम हैं? यदि हम चाहें तो उसे पूरा खारा बना कर रख दें. फिर कृतज्ञता क्यों नहीं दिखाते) (अल-वाकिआ 68-70)

पानी को लेकर हदीस में क्या कहा गया

कुरान में कई जगहों पर अल्लाह ने पानी की इसराफ (फिजूलखर्ची) से मना किया है. इससे यह पता चलता है कि, जल संरक्षण को लेकर इस्लाम में बहुत पहले ही शिक्षा दे दी गई है. इसके अलावा बहुत से हदीस भी पानी बचाने को लेकर उदपेश देते हैं, क्योंकि पानी का मसला जीवन से जुड़ा है. साथ ही पानी से हमें यह भी सीख मिलती है कि हमें पाक-साफ रहकर समाज के लिए उपयोगी और लाभकारी बनना चाहिए.

क्या पानी की बर्बादी है वजू

इस्लाम में वजू (Wudu) करना एक अहम प्रक्रिया है, जिसे खासकर नमाज अदा करने से पहले की जाती है. वजू के लिए पानी जरूरी है. इस्लाम के मुताबिक वजू पानी की फिजूलखर्ची नहीं बल्कि बचत है. क्योंकि स्नान करने में कम से कम 3 लीटर पानी लग सकता है, जबकि व्यक्ति 650 मिली. पानी से वजू कर लेता है.

एक बार मुहम्मद सल्ल0 हजरत साद बिन अबी वक्कास रजि0 के पास से गुज़रे जबकि वह वजू कर रहे थे और पानी का प्रयोग जरुरत से ज़्यादा कर रहे थे. जब उन्होंने फरमायाः हे साद! यह क्या फिजूल खर्ची है? उन्होंने पूछाः क्या वजू में भी फुज़ूलखर्ची है?  उन्होंने कहा: हां क्यों नहीं! अगर तुम बहती नदी के पानी मे वजू क्यों न करें, लेकिन वहां भी आवश्यकता से अधिक पानी का प्रयोग करना फुजूलखर्ची है. आवश्यकता से अधिक किसी चीज का प्रयोग करना फिजूलखर्ची है, जोकि अल्लाह पसंद नहीं करता.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि BHARAT TEZ किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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